मुमकिन था कि उनके अंगूठे के नीचे से फिसल कर एकाएक मेरा पूरा कद निकल आए
2.
ऊंचा पूरा कद, सपनीली आंखें, कविता में, बातों में गजब का सलीका...
3.
ये किस तरह मुमकिन था कि उनके अंगूठे के नीचे से फिसल कर एकाएक मेरा पूरा कद निकल आए और वे चुप बैठे रहें।
4.
और भी स्वतंत्रता की सराहना कर रहे हैं क्योंकि मनुष्य जब तक यह केवल Pachtaaradtha कर रही द्वारा पूरा कद, और उसके प्रावधानों का प्रयोग, और अपनी गलतियों से सीखने तक पहुँच विकसित कर सकते हैं.
5.
मैं चाहती हूँ कुछ अव्यवहारिक लोग एक गोष्ठी करें कि समस्याओं को कैसे बचाया जाए उन्हें जन्म लेने दिया जाए वे अपना पूरा कद पाएं वे खड़ी हों और दिखाई दें उनकी एक भाषा हो और कोई उन्हें सुने--शुभा बेहद कम छपने वाली कवियत्री हैं.